बाढ़ के प्राकृतिक कारण :
प्राकृतिक कारक जिनसे बाढ़ आती है :-
1.अधिक वर्षा होना :- जल प्लावन उस समय होता है जब भूमि की निकासी क्षमता से अधिक बरसात होती है।
2.नदियां तटबंध टूटने से यह स्थिति बर्फ के तेजी से पिघलने से अथवा बरसात के कारण नदी के स्तर में वृद्धि से हो सकती है।
3.तूफान चलने और चक्रवात के समय बरसात होना।
4.भूस्खलन के कारण नदी घाटी के हिल जाने से अथवा झील के लिए निर्माण बांध जो फटकर बाढ ला सकता है।
मानव निर्मित कारक जिनसे बाढ़ आती है -
1.वनों का विनाश - वनस्पतिक आवरण चाहे घास अथवा बड़े वृक्ष, भूमि पर बहने वाले पानी की गति धीमी कर पानी को जमीन के अंदर रिसने हेतु अधिक समय देते है। वनस्पतिक बाह्य टोपी,बरसात की बूंदो के प्रभाव को सहन कर, बरसात द्वारा भूमि पर किये जाने वाली मारक कार्य के प्रभाव को कम कर देता है। पौधों की जड़े भूमि को तोड़ के आपस में बांधती है और धुल जाने से बचाव करती है। वे भूमि को छिद्रित बनाकर बरसात के पानी को अंदर रिसने में सहायता करती है। बिना वनस्पति के भूमि कठोर बन जाती है जिससे बहाव और भूमि क्षरण में वृद्धि होती है।
वन विहीन क्षेत्रों में भूमि और वनस्पति के कम सोखने के कारण जल का बहाव अत्याधिक तीव्र रहता है। पानी अपने साथ बड़ी मात्रा में खाली क्षेत्र ( वृक्ष विहीन भूमि ) से क्षरित मिट्टी को भी ले जाता है। यह गिलाव नदी के निचले भाग पर जमा होकर उसके सतह को ऊंचा कर देती है। इसके कारण नदी प्रवाह की पानी रोकने की क्षमता कम हो जाती है। पानी का प्रवाह जितना कम पानी रोक सकता है उतनी ही अधिक नदी के किनारों से पानी के बहने से आसपास के क्षेत्रों के बाढ़ग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
2.भूमि उपयोग के तरीके में परिवर्तन - बाढ़ की घटनाओं और उनके द्वारा किया गया विनाश दोनों में वृद्धि भूमि उपयोग के तरीकों और योजनाओं से संबंधित है। शहरीकरण के साथ अधिक एवं और अधिक बाढ़ मैदान के क्षेत्र शहरों के विकास हेतु परिवर्तित किया जा रहा है। ऐसे क्षेत्र प्राकृतिक रूप से और अधिक बाढ़ संवेदी क्षेत्र है। त्रुटिपूर्ण नगर योजना एक और सहयोगी कारक है। कालोनिया अक्सर नीचे स्थित क्षेत्र में बनती है। जो आसानी से सामान्य बरसात से डूब जाती है। तूफानी पानी निकासी व्यवस्था शहरी स्थानीय क्षेत्रों में अक्सर पूर्णतः विकसित नहीं होते है अथवा उनका उचित रखरखाव नहीं किया जाता है जिससे बारिश के पानी की त्वरित निकासी विशेषकर भारी बरसात में रूक जाती है। अनेक भारतीय शहरों में तुफानी पानी की नालियां (वे नालियां जिनमें सड़को का बरसाती पानी खाली होता है) अक्सर कचरे को नाली में फेंकने के कारण भरी रहती है। जिसके कारण वे रूक जाती है अथवा बंद होकर बरसाती पानी निकासी के लिए स्थान नहीं छोड़ती है। जाने का कही रास्ता नहीं होने से बरसात के पानी से सड़के भर जाती है।
3.वेटलैंड क्षेत्रों में कमी अथवा वेटलैंड का भराव - वेटलेंड ( पानी की संस्थाएं जैसे तालाब, झील अथवा पानी की छोटी व्यवस्थाए ) जिनमें बरसात के पानी अथवा नदी के अतिरिक्त पानी का संग्रहण करने की बड़ी सक्षमता होती है, वे बाढ़ को रोकने का एक प्राकृतिक उपाय है। जैसा की इनमें पानी संग्रहण की बड़ी क्षमता होती है वे बाढ़ के दौरान विशेषकर बाढ़ का मैदानो में बफर जोन (Buffer Zone) का कार्य करती है। वेटलेंड की संख्या और उनके फैलाव में कमी से बाढ़ की सभावना में वृद्धि हो रही है।
प्रभाव : बड़ी बाढ़ अधिकतर उस समय आती है जब नदियों की बाढ़ का पानी बड़े क्षेत्र में भर जाता है।उससे बहुत अधिक और एक बड़े क्षेत्र में नुकसान होता है। विश्व तथा राष्ट्रीय स्तर पर बाढ़ से एक औसत वार्षिक नुकसान किसी भी अन्य आपदा से होने वाले नुकसान से अधिक नुकसान होता है। भयंकर बाढ़ों से जैसा विश्व इतिहास से देखा गया है हजारों व्यक्ति और पशु डूब जाते है , ग्राम और नगर घिर जाते है और फसले तथा कृषि भूमि नष्ट हो जाती है। बाढ़ से सड़कों, पुलों, रेल्वे लाइन, पानी और बिजली लाइनों को बहुत बड़ा नुकसान होता है।
तैयारियां :
बाढ़ के पहले -
1. यदि क्षेत्र बाढ़ संवेदी , नीचे स्थित क्षेत्र हो तो बाढ़ चेतावनियों और समझाइशों के लिए रेडियो या दूर - दर्शन को बरसात के मौसम में नियमित सुने।
2. क्षेत्रों की तूफानी पानी निकासों की सफाई, बरसात के पहले किया जाना महत्वपूर्ण है, अक्सर ये निकास या तो बंद कर दिये जाते है अथवा ढंक दिये जाते है , जिससे बरसात के पानी के बहाव के लिए जगह नहीं रह जाती है, रूके निकायों की सड़के , गलियां भर जाती है जिनके खुलने में कई दिन लग सकते है।
3.यदि घर के अंदर पानी प्रवेश करने की आशंका हो तो घर के अंदर कौन सी चीज खड़ी करना होगी के लिए योजना बना लें। विद्युत एवं इलेक्ट्रानिक्स सामान, हल्का फर्नीचर, कपड़े, मूल्यवान वस्तुओं को हाड के अंदर अथवा टेबिल के ऊपर अथवा पंलग के ऊपर रख दे।
4. एक आपात्कालीन किट साथ रखे , जिसमें निम्न सामग्री होना चाहिए -
(अ) छोटा रेडियो, टार्च और अतिरिक्त बैटरी सेल।
(ब) सूखा भोजन जैसे गुड़, बिस्किट , नमक और शक्कर।
(स) पानी रोधी थैलिया , ताजे पानी की बोतलें, मोमबत्तियां और माचिसें।
(द) छाता और बांधने के लिए पक्की रस्सियां तथा पानी का स्तर नापने के लिए लकड़ी।
(इ) प्राथमिक उपचार किट।
बाढ़ की स्थिति में -
1.पानी के अज्ञात बहाव और गहराई में न तो चलें और न गाड़ी चलाये। लकड़ी का प्रयोग कर गहराई , आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित कर लें। घुटने से ऊपर पानी का स्तर होने पर आगे न जाये।
2.गंदा पानी निकासी द्वार से वापस पानी के बहाव को रोकने के लिए रेत की बोरी शौचालय की बैठकी के अंदर और सभी स्नान घर के निकासी छिद्रों पर घर छोड़ने के पहले रख दें।
3.यदि चूना अथवा ब्लीचिंग पाउडर उपलब्ध हो तो उसको चारो और संक्रमण से बचाने के लिए प्रयोग करें।
4.बाढ़ के पानी में विशेषकर जहाँ बहाव तेज हो अच्छे तैराक होने पर भी प्रवेश नहीं करें।
बाढ़ के बाद -
1.बाढ़ के पानी के संपर्क में रहे खाने को नही खाएं।
2.पूरे पानी को उबालकर पिएं जब तक आपूर्ति के सुरक्षित होने की घोषणा न कर दी जावे।
3.गैस और बिजली उपकरणों का प्रयोग सुरक्षा जांच होने तक नहीं करें।
4.उथले पानी में जूते अथवा बूट पहन कर प्रवेश करें।
5.सांपो से सावधान रहे जो घर के सूखे स्थान में आ सकते है।